बसंत ऋतु के प्रमुख त्यौहार कौन-कौन से हैं?
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस नए आर्टिकल में दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे की बसंत ऋतु के प्रमुख त्यौहार कौन-कौन से होते हैं और उन्हें किस प्रकार से मनाया जाता है? आदि । तो आइए दोस्तों हम बिना देर किए बसंत ऋतु के त्योहारों के बारे में जानते हैं-
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति हमारे देश का एक ऐसा त्यौहार है जिसके साथ ऋतु परिवर्तन धार्मिक मान्यता है एवं फसल की कटाई का अनंत सब एक साथ जुड़े हुए होते हैं यह त्योहार सारे देशों में अलग-अलग नामों एवं धार्मिक रीति रिवाज और क्षेत्र विशेषताओं के साथ मनाया जाता है भारत के अधिकांश भागों में इसे संक्रांति के नाम से बनाया जाता है संपूर्ण उत्तर भारत में इस दिन लाखों की संख्या में लोग पवित्र नदियों एवं कुंडों में स्नान करते हैं तथा तीन एवं गुड़ का अर्पण कर के सूर्य की पूजा करते हैं।
लोहड़ी
पंजाब,हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश में इसे लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है। इसके 8 दिन पूर्व से ही लोग घर-घर जाकर लोकगीत गाते हैं आठवें दिन लोहड़ी पर लोग इकट्ठे होकर आग जलाते हैं एवं इसमें नए अन्न एवं तील की आहुति देते हैं| महाराष्ट्र में इसे संक्रांति के नाम से मनाते हैं विवाहित महिलाएं घर-घर जाकर गुड़ और तिल से बने पकवान तथा नए अन्न बाटती हैं।
भोगी
तमिलनाडु में इस त्यौहार को 3 दिन मनाते हैं। पहले दिन को भोगी कहते हैं। दूसरा दिन पोंगल के रूप में मनाते हैं, जिसमें नए बर्तन में मीठी भात पकाकर सूर्य को अर्पित करते हैं। तीसरे दिन खेती में सहायक बैलों एवं गायों का श्रृंगार करते हैं। आंध्र प्रदेश एवं उड़ीसा में इसे संक्रांति के नाम से ही मनाते हैं।
बसंत पंचमी
मकर संक्रांति के बाद का महत्वपूर्ण त्यौहार है बसंत पंचमी। यह त्यौहार ऋतु परिवर्तन का सूचक है। इसका संबंध विद्या की देवी सरस्वती माता से भी जोड़ा जाता है। इसलिए इस दिन स्कूलों में कक्षाओं को सजाया जाता है। पूर्वी भारत के राज्यों में देवी सरस्वती माता की मूर्ति स्थापित की जाती है। कई जगह छात्र-छात्राएं पीले परिधान धारण करके आते हैं चारों ओर का वातावरण ही जैसे बसंती हो जाता है इसी दिन हिंदी के विख्यात कवि महाप्राण निराला की जयंती भी मनाई जाती है।
होली
वसंत ऋतु के त्योहारों का चरम उत्कर्ष होली में व्यक्त होता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह त्योहार उल्लास और उमंग लेकर आता है।शायद ही कोई त्यौहार ऐसा हो जो इतने राग-रंग के साथ मनाया जाता है हिंदी प्रदेशों में माघ से ही फाग गाया जाने लगता है होली के पहले दिन यानी फाल्गुन मास की समाप्ति पर होलिका दहन होता है दूसरे दिन एक-दूसरे से मिलते हैं रंग अबीर डालते हैं गाते हैं बजाते हैं भगवान कृष्ण की संगिनी राधा के गांव बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है लट्ठमार होली भगवान कृष्ण द्वारा की जाने वाली लीलाओ की पुनरावृत्ति जैसी है।ऐसी मान्यता है कि कृष्ण अपने शाखाओं के साथ कमर पर फेटा बांधे राधा और उनकी सखियों संग होली खेलने बरसाना पहुंच जाते थे और उनके साथ ठिठोली करते थे जिस पर राधा सखियो संग ग्वाल बालो पर लट्ठ बरसाया करती थी।धीरे-धीरे यही होली की परंपरा बन गई इस होली को देखने भारी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं।