राष्ट्रपति प्रणाली की विशेषताएं क्या है?

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राष्ट्रपति प्रणाली की विशेषताएं क्या है?

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका Hindi-khabri.in में. दोस्तों आज हम जानेंगे कि राष्ट्रपति प्रणाली की विशेषताएं क्या है? और राष्ट्रपति प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं क्या है आदि के बारे में हम इस आर्टिकल में जानने वाले हैं तो दोस्तों आइए हम बिना देर किए जानते हैं कि राष्ट्रपति प्रणाली की विशेषताएं क्या है?-

राष्ट्रपति प्रणाली की विशेषताएं

संसदीय प्रणाली की तरह ही राष्ट्रपति प्रणाली की भी अपनी विशेषताएं हैं जो इसे संसदीय प्रणाली से अलग करती है इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं-एक ही मुखिया, शक्तियों का विभाजन, राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के सदस्य, कानून बनाने का अधिकार, कार्यालयों की तय अवधि। विशेषताओं के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।-

एक ही मुखिया

राष्ट्रपति प्रणाली में एक भी निर्वाचित व्यक्ति होता है। जिसे राष्ट्रपति के रूप में जाना जाता है और जैसा कि एंड्रयू हेवुड का कहना है,यह व्यक्ति “दो ताज” पहनता है।इसका मतलब है कि राष्ट्रपति राज्य और सरकार का मुखिया होता है।वह सरकार को निर्देश देता है और राजनीतिक जिम्मेदारियों को निभाता है और औपचारिक कर्तव्यों का पालन करता है।हालांकि राष्ट्रपति संसदीय प्रणाली के तहत प्रधानमंत्री की तुलना में बहुत कमजोर होता है और संसदीय प्रणाली के तहत प्रधानमंत्री की तुलना में विधानसभा और इसके सदस्यों पर उसका नियंत्रण कम होता है क्योंकि इस प्रणाली में शक्तियों को विभाजित कर दिया जाता है।

शक्तियों का विभाजन

सरकार की राष्ट्रपति प्रणाली को परिभाषित करने वाले मुख्य विशेषताओं में से एक विशेषता है इसमें शक्तियों का विभाजन करना जिसका अर्थ है कि शक्तियों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से सरकार की 3 शाखाओं विधानसभा कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित कर दिया जाता है राष्ट्रपति प्रणाली विधानसभा कार्यपालिका की शक्तियों का विभाजन मुख्य रूप से मित्रता सबसे साल कार्यकारी राष्ट्रपति और उसके मंत्री विधानसभा से नहीं लिए जाते बल्कि राष्ट्रपति और विधानसभा को अपने से अलग अलग चुना जाता है दूसरा राष्ट्रपति सीधे रूप से जिम्मेदार होता है ना कि विधानसभा के प्रति ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसे सीधे तौर पर चुनाव के माध्यम से लोगों के द्वारा चुना जाता है।

तीसरा विधानसभा राष्ट्रपति को उसकी अवधि की समाप्ति से पहले हटा नहीं सकती। वह केवल असाधारण परिस्थितियों में महाभियोग की प्रक्रिया के माध्यम से ही ऐसा कर सकती है। चौथा, राष्ट्रपति विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति से पहले इससे भंग नहीं कर सकता है। पांचवा राष्ट्रपति सहित कार्यपालिका के सदस्य विधान सभा के सदस्य नहीं बन सकते और विधानसभा के सदस्य भी कार्यपालिका के सदस्य नहीं बन सकते हैं अगर विधानसभा के सदस्य कार्यकारी शाखा में शामिल होना चाहते हैं। तो उन्हें पहले कार्यपालिका में अपनी सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। इसके साथ ही कार्यकारी सदस्य भी विधानसभा में नहीं बैठ सकते हैं और न हीं वह विधायि प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं।

राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के सदस्य

राष्ट्रपति प्रणाली में राष्ट्रपति को अपने मंत्रिमंडल के सदस्य नियुक्ति करने और सरकार बनाने की पूरी स्वतंत्रता है लेकिन उसके सदस्य विधानसभा से नहीं लिए होने चाहिए सरकार के संसदीय स्वरूप में मंत्रियों की परिषद सरकार के मुखिया के सहयोगी के रूप में काम करती है और उसके पास पार्टी में अपना शक्ति आधार और विधानसभा में सहयोग भी होता है।लेकिन इससे अलग राष्ट्रपति प्रणाली में मंत्रिमंडल के सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और वह राष्ट्रपति के नीति निर्माता नहीं बल्कि उसके नीति सलाहकार ही रहते हैं और वह व्यक्तिगत तौर पर लोगों को या विधानसभा को नहीं बल्कि राष्ट्रपति को जवाबदेह होते हैं। केवल राष्ट्रपति ही अपने प्रशासन के लिए लोगों के प्रति उत्तरदायी होता है। यह दर्शाता है कि राष्ट्रपति के पास अपने मंत्रिमंडल को नियुक्त करने की और उन्हें खारिज करने की पूरी स्वतंत्रता होती है क्योंकि वह राष्ट्रपति के अधीन काम करते हैं और उनके पास निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं होती है। इस तरह से राष्ट्रपति सरकार में एकतरफ कार्यकारी जिम्मेदारी होती है और संसदीय सरकार की तुलना में इस सरकार में मंत्रीमंडल के पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं होती।

कानून बनाने का अधिकार

राष्ट्रपति प्रणाली की कार्यपालिका संसदीय सरकार की कार्यपालिका की तुलना में कानून बनाने का बहुत ही कम अधिकार रखती है। अमेरिकी राष्ट्रपति, उदाहरण के लिए, कांग्रेस (संयुक्त राज्य अमेरिका की विधानसभा) द्वारा पारित कानून को वीटो (खारिज) कर सकता हैं। लेकिन कार्यपालिका दो तिहाई बहुमत मतों के साथ इस बिट्टू को ही खारिज कर सकती है जिसके बाद राष्ट्रपति संधियों पर हस्ताक्षर कर सकता है लेकिन ऐसी संधियों को सीनेट (ऊपरी सदन) के अनुमोदन की आवश्यकता होती है। मुख्य रूप से अपने चयन, कार्यकाल और सदस्यता के मामले में कार्यकारी और विधायी शाखाओं के आपसी स्वतंत्रता की वजह से यह विधानसभा एक संसदीय प्रणाली की विधानसभा की तुलना में अधिक स्वतंत्र विधिकारी निकाय है।

कार्यालयों की तय अवधि

राष्ट्रपति प्रणाली की एक अन्य विशिष्ट विशेषता है इसकी तय/अवधि राष्ट्रपति और विधानसभा एक तय अवधि के लिए ही चुने जाते हैं जिसका अर्थ है कि दोनों ही अवधि पूरी होने के से पहले एक दूसरे को हटा नहीं सकते। राष्ट्रपतियो को तय अवधि के लिए अलग से चुना जाता है यह अवधि राज्यों के अनुसार चार,पांच या 6 साल की हो सकती है और उनका कार्यकाल संसदीय प्रणाली की तरह विधानसभा के समर्थन पर निर्भर नहीं होता।इसका मतलब है कि विधानसभा अवधि की समाप्ति से पहले असाधारण परिस्थितियों में महाभियोग प्रक्रिया का प्रयोग करने को छोड़कर क्योंकि इस में असाधारण माप दडों की जरूरत होती है,राष्ट्रपति को हटा नहीं सकती।इसी तरह, विधानसभा भंग नहीं कर सकता और न ही इसके सदस्यों को हटा सकता है क्योंकि उनके पास लोकतांत्रिक जनादेश होता है।

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