भारतीय दर्शन में पौधे और जानवर

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भारतीय दर्शन में पौधे और जानवर

नमस्कार दोस्तों आप सभी लोगों का Hindi-khabri.in में आप सभी लोगों का स्वागत है। मेरे प्यारे दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में जाने वाले हैं कि भारतीय दर्शन में पौधे और जानवर आदि के बारे में तो दोस्तों आइए हम इस आर्टिकल भारतीय दर्शन में पौधे और जानवर का शुरुआत करते हैं।

भारतीय दर्शन में पौधे और जानवर

भारतीय दर्शन में पौधे और जानवर-पौधे हमारे पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है हमें भोजन ताजा ऑक्सीजन और बारिश देने के अलावा पौधे मिट्टी के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं पौधों के बिना जीवन को कल्पना करना वास्तव में ही असंभव सा है|इसलिए हमारे भारतीय समाज में पौधों को अत्यधिक पवित्र माना जाता है|पौधे सामाजिक आर्थिक महत्व और औषधि गुना के कारण भी महत्वपूर्ण है जब मानव समाज शिकार जमा करने वाले समाज से भोजन कोई इकट्ठा करने वाले समाज में परिवर्तित हो रहा था तब पृथ्वी को मां का दर्जा माना जाने लगा और पौधों को उसका आशीर्वाद समय के साथ पेड़ उर्वरता के प्रतीक बन गए और उन्हें अच्छी और बुरी आत्माओं का निवास माना जाता था प्रारंभ में जब वनों को किसी विस्तार के लिए साफ किया जा रहा था कम से कम 1 मिनट खुले में छोड़ दिया जाता था पेड़ के नीचे वाला भी ठहर लिया तलवार रखी जाती थी बाद में इलाके को लकड़ी के डंडों से घर दिया जाता था धीरे-धीरे लकड़ी का बार की जगह पत्थर को उपयोग में लाया जाने लगा और इस तरह आधुनिक मंदिर कच्चे ढांचे से विकसित हुए मंदिर के आसपास पेड़ों की उपस्थिति पाए जाते थे मंदिर के अंदर जहां पेड़ स्थित होता था उसे स्थल वृक्ष कहा जाता था।

इस तरह के स्थलों में पौधों और पेड़ों की स्थानिक लुप्तप्रयाग प्रजातियों को सुरक्षित किया वृक्ष पूजा का सबसे पहला उदाहरण सिंधु सरस्वती सभ्यता से मिलता है जैसा कि उस काल की मुहरों पर दर्शाया गया है। सबसे पवित्र पेड़ों में से एक पीपल का पेड़ या अश्वतथ है जो सैकड़ो साल पुराने पापों को दूर करने की शक्ति से ओतप्रोत है। भगवान बुद्ध ने एक पीपल के पेड़ के नीचे निर्वाण प्राप्त किया था और भगवान कृष्ण ने इस पेड़ के ही नीचे अपने अंतिम सांस ली थी। इसलिए पीपल का पेड़ हिंदू और बौद्ध दोनों के लिए पवित्र है।इसके अलावा साहित्य में आज का पहला उदाहरण राजस्थान के थार रेगिस्तान से मिलता है जहां पाए जाने वाले खेजरी के पेड़ के साथ पीपल की लकड़ी को रगड़कर आग उत्पन्न की गई। इन पेड़ों की पवित्रता कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि वह अग्नि के प्रवर्तक होते हैं जो ब्रह्मांड के महत्वपूर्ण तत्वों का प्रमुख घटक है लगभग हर हिंदू हिंदू अनुष्ठान में आज का उपयोग किया जाता है विवाह अग्नि की उपस्थिति में संपन्न होते हैं और सब का अंतिम संस्कार के लिए भी अग्नि का होना अनिवार्य है क्योंकि आज केवल पतित मानव शरीर को ही भस्म करती हैं अनुष्ठानों में भी आज की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि लगभग सभी भारतीय प्रार्थनाओं की शुरुआत दिए जलाने या हवन के प्रदर्शन से होती है।

बरगद का पेड़ भी सबसे पवित्र पौधों में से एक है। श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में एक बरगद के पेड़ के नीचे अर्जुन को दिया था मूल निवासी अभी भी दावा करते हैं कि जो प्रिंसिपल पर है वह महाभारत के कल के इसके अलावा यह माना जाता है कि भगवान शिव बरगद के पेड़ के नीचे और देवी नीम के पेड़ के नीचे विराजमान है नीम का पेड़ अपने औषधि गुना के लिए प्रसिद्ध है और चेचक जैसे रोगों के उपचार में अत्यधिक उपयोगी है तुलसी का पौधा आमतौर पर हर भारतीय घर में पाया जाता है और देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है तुलसी के पौधों के गुना से प्रेरित होकर बॉलीवुड ने इस पर “मैं तुलसी तेरे आंगन की” नाम से एक फिल्म भी बनाई है|

गुल्लर या उल्लू पर एक और वृक्ष है जिसे कई भारतीय घरों में देखा जा सकता है यह भगवान विष्णु जुड़ा हुआ है इस जीवन की इच्छा पूर्ण करने वाला पौधा माना जाता है और इसे आमतौर पर कल्पवृक्ष कहा जाता है किंशुक की त्रिफला पत्तियां ब्रह्मा विष्णु और महेश्वर शिव की हिंदू त्रिमूर्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।इसी तरह आम जो एक उत्कृष्ट फल माना जाता है वह भी महत्वपूर्ण अनुष्ठानों से जुड़ा हुआ है इसके पत्तों का उपयोग तोरण बनाने के लिए किया जाता है जो आमतौर पर घर के प्रवेश द्वार पर होता है प्रार्थना और अन्य अनुष्ठानों के दौरान नारियल को सजाने के लिए आम के पांच पत्तों का उपयोग किया जाता है तीन अंकों वाले नारियल को धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे आमतौर पर मंदिर में पुजारी के द्वारा तोड़ा जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच बांटा जाता है।

यक्ष और यक्षिणी

एक और यक्षिणी एक विशिष्ट समुदाय या एक गांव के देवदूत अभिभावक हैं और ऐसा माना जाता है कि वह उसे विशिष्ट पेड़ पर निवास करते हैं जो उसे क्षेत्र के लिए स्थानिक है यह शब्द ऋग्वेद अथर्ववेद उपनिषदों और ब्रह्मांडों में कई बार आता है हम बौद्ध जातकों में रख कम्मो या वृक्ष धर्म जातक पाते हैं जो वृक्ष पूजा के लिए समर्पित है उन पारंपरिक कहानियों को याद करना महत्वपूर्ण है जो किसी ने अपने दादा-दादी से सुनी होगी रुक शब्द का अर्थ है पौधा या पेड़ विश्व विश्वामित्र और जमनी को उनकी माता ने पेड़ों को गले लगाकर उत्पन्न किया था एक्सन ने धन और संतान प्रदान किए हुए विवाह करने महिलाओं की शुद्धता की रक्षा करने वाले बच्चों और पोते का प्रदान करने वाले अरुण की रक्षा करने वाले माने जाते थे|

यश जीवन की शक्तियों के साथ वनस्पति आत्माएं जैन धर्म में भी हमें एक्सन का उल्लेख मिलता है यह माना जाता है कि प्रत्येक तीर्थंकर में एक यक्ष और एक यक्षि शामिल होते हैं इनमें से सबसे प्रमुख अंबिका आम है पेड़ों ने यात्रियों को आश्रय भी प्रदान किया उन्हें तूफान और बारिश से बचाया और उन्हें लाक्षणिक रूप से लचीलापन का पाठ भी सिखाया जब हवा का झोंका किसी पेड़ से टकराता है तो वह उसके आगे झुक जाता है जब हवा का झोंका गुजर जाता है तो वह फिर से उठकर अपनी मूल स्थिति में आ जाते हैं मानव जीवन भी भाग्य कैसे ही झुको से भरा हुआ है और यह प्रकृति ही है जो हमें विषम परिस्थितियों में लचीला होना सिखाती है हम देखते हैं कि प्रत्येक दिन बीतने के साथ हमारे ग्रह पर जनसंख्या बढ़ती ही चली जा रही है और हम पर्याप्त मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ रहे हैं ऐसी विषम परिस्थितियों में पौधे और केवल पौधे हमारे बचाव में आ सकते हैं|

वर्तमान समय की वैज्ञानिक व्याख्या पेड़ों को देवताओं के के साथ जोड़ने की आवश्यकता को अंधविश्वास का सकती है लेकिन यहां तक की सबसे कड़े आलोचक 20 तक से समाप्त होंगे कि यह मान्यताएं मानव प्रयोग के लिए हमारे पारिस्थितिक तंत्र को बचाने में अत्यधिक सहायक थी आज की आधुनिक दुनिया में भी जहां लोक परंपरासंस्कृति और अतीत की प्रथाओं में विश्वास करते हैं वह आदित्य पेड़ और जैव विविधता की हमारी समृद्धि वजसात के संरक्षण के माध्यम से मानवता की महान सेवा कर रहे हैं इस प्रकार भारतीय दर्शन में पेड़ पौधों को हमेशा देवताओं का वास माना गया है और किसी पौधों पर कोई भी घुसपैठ अब सुकून का संकेत है और इसे सबसे जघन्य धार्मिक और आध्यात्मिक अपराधों में से एक माना जाता है।

जानवर

दर्शन के क्षेत्र में विश्व को भारत का प्रमुख योगदान अहिंसा का रहा है लोग बहुदा अहिंसा को गांधी के संदर्भ में देखते हैं हालांकि यह सब उपनिषदों जितना ही पुराना है गांधी जी ने इसे वहीं से उधार लिया था। यह उपनिषदों में है कि हम ‘अहिंसा परमो धर्मा:’ का उल्लेख पाते हैं। इसलिए भारतीय जानवरों की हत्या में विश्वास नहीं करते थे क्योंकि उनका मानना था कि परमात्मा सभी रूपों में रहते हैं चाहे वह जानवर हो या वनस्पति। इसलिए जानवरों की हत्या निषिद्ध थी।

जैन धर्म जो हिंदू धर्म की एक शाखा है का उदय हुआ क्योंकि खेती करते समय जिसमें जुटा की जरूरत होती थी,कई कीड़े और सरीसृप मारे जाते थे। इसलिए संवेदनशील लोगों ने खेती छोड़ दी और व्यापारी बन गए।यही कारण है कि जैन संप्रदाय से लगभग कोई भी किसान नहीं है।छादोंग्य उपनिषद ‘सभी प्राणियों’ (सर्वभूत) के खिलाफ हिंसा को रोकता है और अहिंसा के अभ्यासी को जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित करता है। यह पाँच आवश्यक गुणों – सत्यवचनम ( सच्चाई), अर्जवम ( ईमानदारी), दनाम ( दान) और तप( ध्यान) के साथ अहिंसा को भी समाविष्ट करता है।

 

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