बोली किसे कहते हैं(Boli Kise Kahate Hain)
नमस्कार दोस्तों आप सभी लोगों का Hindi-khabri.in में आप सभी लोगों का स्वागत है। दोस्तों आज के इस नए आर्टिकल में हम जानने वाले हैं की बोली किसे कहते हैं और इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे की बोली कितने प्रकार की होती है और भाषा और बोली में क्या अंतर है,भाषा किसे कहते हैं, खड़ी बोली किसे कहते हैं आदि के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानने वाले हैं तो दोस्तों आइए हम बिना देर किए जानते हैं की बोली किसे कहते हैं-
बोली किसे कहते हैं(boli Kise kahate Hain)
बोली एक क्षेत्र विशेष में बोली जाने वाली भाषा का विशिष्ट रूप को ही बोली कहा जाता है। अर्थात इसका मतलब यह हुआ कि छोटे से कस्बे या क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा बोली कहलाती है। बोली का साहित्य लिखित ना होकर मौखिक ही रहता है इसकी लिपि नहीं होती है।
भाषा का क्षेत्र रूप बोली कहलाता है बोलियां छोटे विभाग तक सीमित होती हैं बोली में ही मुहावरे लोकोक्तियां लोकगीत लोक कथाओं आदि का सौंदर्य रूप को देखा जा सकता है इससे एक अचल विशेष प्रभावित होता है।
लिखित साहित्य के अलावा अन्य सभी प्रकार का सौंदर्य बोली से प्रकट होता है केवल प्रचलित मौखिक रूप होने के कारण यह जगह-जगह पर बदलती रहती है इसकी तुलना में भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है।
बोली कितने तरह की होती है?
क्षेत्र के आधार पर हिंदी बोलियों का विभाजन निम्न प्रकार से की गयी है-
पूर्वी हिंदी-बघेली,अवधि, छत्तीसगढ़ी आदि।
पश्चिमी हिंदी-हरियाणवी,खड़ी बोली,ब्रजभाषा,बुंदेली,कन्नौजी आदि।
पहाड़ी हिंदी-गढ़वाली,हिमाचली, कुमाऊनी,मंडिवाली आदि।
बिहारी हिंदी-भोजपुरी,मैथिली, मगही,अंगिका,बज्जिका आदि।
राजस्थानी हिंदी-जयपुरी,जोधपुरी,मेवाड़ी, हाडोती,मेवाती आदि।
पूर्वी हिंदी किसे कहते है?
पूर्वी हिंदी में तीन प्रमुख बोलियां हैं-अवधी बघेली और छत्तीसगढ़ी। पूर्वी हिंदी का क्षेत्र उत्तर प्रदेश पूर्वी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और झारखंड के पश्चिमी क्षेत्र तक मुख्य रूप से फैला हुआ है।
इसमें रायबरेली लखनऊ उन्नाव सीतापुर फैजाबाद गोंडा कानपुर इलाहाबाद बाराबंकी जौनपुर एवं मिर्जापुर के कुछ भाग और नेपाल की तराई क्षेत्र के कुछ भाग मध्य प्रदेश के रीवा जबलपुर छत्तीसगढ़ के रायपुर नंद गांव रामगढ़ तथा उदयपुर एवं जयपुर के कुछ अनेक भागों तक फैला हुआ है।
पश्चिमी हिंदी किसे कहते हैं?
पश्चिमी हिंदी भाषा में पांच प्रमुख बोलियां हैं-खड़ी बोली ब्रजभाषा हरियाणवी बुंदेली कन्नौजी आदि। पश्चिमी हिंदी की बोलियां दिल्ली हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा पंजाब के कुछ भागों में बोली जाती है भौगोलिक दृष्टि से पश्चिमी हिंदी पंजाबी राजस्थानी पहाड़ी पूर्वी हिंदी तथा मराठी भाषाओं के बीच में स्थित है अतः इसके बाद भी इन की विशेषताएं अशत: भी मिलती है।
इस क्षेत्र की एक बोली खड़ी बोली मानक हिंदी के रूप में विकसित हुई है जो आज देश की राजभाषा राष्ट्रभाषा संपर्क भाषा एवं साहित्यिक सांस्कृतिक भाषा का गौरव प्राप्त कर चुकी है इस भाषा का क्षेत्र प्राचीन काल से मध्य देश कहलाता था। देश देश की भाषा होने के कारण यहां की भाषा है या बोलिए सदैव पूरे देश में व्याप्त रही हैं।
पहाड़ी हिंदी किसे कहते हैं?
पहाड़ी हिंदी भाषा में चार मुखी प्रकार की बोलियां बोली जाती है जो कि निम्न है-गढ़वाली हिमाचली कुमाऊनी मंडियाली आदि। काले पर्वत श्रृंखलाओं के दक्षिण भु भाग में अपील के पूर्व से लेकर नेपाल तक पहाड़ी भाषाएं बोली जाती हैं पहाड़ी पर्वतीय क्षेत्र में बोली जाने के कारण इस उपभाषा खंड को पहाड़ी कहा जाता है हिंदी भाषा के संदर्भ में हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का उत्तर पश्चिम क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र है।
बिहारी हिंदी किसे कहते हैं?
बिहारी हिंदी किया वह भाषा मुख्यता बिहार में बोली जाती है वास्तव में भी आ रही है अपने आप में कोई बोली नहीं है केवल राजनीतिक भूखंड के नाम पर क्षेत्र की बोलियों को बिहारी कहा जाता है इस भाषा वर्क को बिहारी नाम देने को श्रेय जॉर्ज ग्रियर्सन को जाता है इसका चित्र मुख्य रूप से वर्तमान बिहार और झारखंड राज्य है कि नीतीश की एक बोली भोजपुरी उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में भी बोली जाती है।
इसका भोगोलिक विस्तार उत्तर में नेपाल की सीमा के आसपास से लेकर दक्षिण में छोटा नागपुर तक तथा पश्चिम में बस्ती जौनपुर, बनारस, गाजीपुर,करहिया गांव, मिर्जापुर से लेकर पूर्व में मालदा और दिनाजपुर तक है भाषा में मुक्ता 5 बोलियां मैथिली मगही भोजपुरी अंगिका और बज्जिका है।
राजस्थानी हिंदी किसे कहते हैं?
राजस्थानी की मुख्यत: 8 बोलियां हैं जिनका कुछ अन्य बोलियों में भी विभाजन किया जाता है। भारत की जनगणना 1991व 2011 के अनुसार निम्न बोलियां आधुनिक राजस्थानी भाषा के प्राथमिक वर्गीकरण के अंतर्गत आती हैं: मारवाड़ी बोली, हाड़ौती बोली,मेवाड़ी बोली,ढूंढाडी बोली, शेखावाटी बोली,बागड़ी बोली, मेवाती बोली लेकिन डॉo ग्रियर्सन के अनुसार राजस्थानी उपभाषा की 5 बोलियां होती हैं-
पश्चिमी राजस्थानी(मारवाड़ी)
उत्तर पूर्वी राजस्थानी (मेवाती अहीर वाटी)
मध्य पूर्वी (या पूर्वी) राजस्थानी(ढूंढाडी हाड़ोती)
दक्षिण पूर्वी राजस्थानी(मालवी)
दक्षिणी राजस्थानी (निमाड़ी)
भाषा और बोली में क्या अंतर है?
भाषा एवं बोली में अंतर-भाषा व बोली में अंतर है। भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है जबकि स्थानीय रूप होने के कारण बोली का क्षेत्र अपेक्षाकृत कुछ जगहों पर ही सीमित होता है। भाषा में साहित्य रचना होती है, बोली में साहित्य रचना नहीं होती है। भाषा का प्रयोग सरकारी कामकाज में किया जाता है बोली का प्रयोग क्षेत्र विशेष में बोलचाल के लिए ही किया जाता है।
उपभाषा किसे कहते हैं?
जब किसी बोली का क्षेत्र बढ़ जाता है और उसमें साहित्य रचना भी की जाती है तो बोली उपभाषा बन जाती है। जैसे खड़ी बोली, मैथिली अवधी और ब्रज भाषा के चारों ही बोलियां हैं,किंतु इनमें साहित्य की रचना की गई है। इस कारण ये चारों उपभाषाएं बन गई हैं।इन चारों में ही उत्तम साहित्य उपलब्ध है।
खड़ी बोली किसे कहते हैं?(khadi boli Kise kahate Hain)
यह पश्चिमी हिंदी उपभाषा वर्ग की एक बोली है। खड़ी बोली शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम लल्लू जी लाल और सदल मिश्र ने किया था। बोली में खड़ी शब्द का अर्थ अत्यंत विवादास्पद है खड़ी बोली(या खड़ी बोली) वर्तमान हिंदी का एक रूप है जिसमें संस्कृत के शब्दों की बहुलता कर के वर्तमान हिंदी भाषा की सृष्टि की गई और फारसी तथा अरबी के शब्दों की अधिकता करके बर्तमान उर्दू भाषा की सृष्टि की गई है।
दूसरे शब्दों में वह बोली जिस पर ब्रजभाषा अवधी आदि की छाप ना हो, ठेठ हिंदी। खड़ी बोली आज की राष्ट्रभाषा हिंदी का पूर्व रूप है। यह परिनिष्ठित पश्चिमी हिंदी का एक रूप है। इसका इतिहास शताब्दियों से चला आ रहा है।