सम्राट जहांगीर का जीवन परिचय
नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है Hindi-khabri.in में। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे सम्राट जहांगीर का जीवन परिचय के बारे में जानेंगे।
सम्राट जहांगीर का जीवन परिचय
सम्राट जहांगीर का जन्म 30 अगस्त 1569 को सम्राट अकबर की हिंदू पत्नी जोधाबाई की कोख से हुआ था। उन्हें 24 अक्टूबर 1605 में राजगद्दी सौंपी गई थी जिस पर आसीन होकर वे सम्राट जहांगीर कहलाने लगे। सम्राट जहांगीर ने 22 वर्षों तक शासन किया इस दौरान उन्होंने अनेक लड़ाई भी लड़ी।
पंछी प्रेम और अन्य रुचियां
सम्राट जहांगीर को पक्षियों से अथाह प्रेम था।वे पक्षियों के बारे में काफी जानकारी रखते थे। उन्होंने पशु-पक्षियों के व्यवहारों तथा प्रकृतियों का वर्णन अपनी पुस्तकों में भी किया है।जहांगीर ने खइमोर,डिम्पर,पपीहा आदि पक्षियों तथा बंदर,पोलकैट आदि जानवरों की प्रकृति व व्यवहारों का बहुत अच्छा वर्णन किया है। उन्होंने मादा हाथी की सगर्भता के विषय में भी बताया कि यह 18-19 माह होती है। पक्षियों की प्रकृति जानने के लिए उनका एक निजी अजायबघर भी था।वे घंटों तक पक्षियों की हरकतें देखते रहते थे और उन्हें अपनी कॉपी में लिख लेते थे।उन्होंने सारस की रतिक्रीड़ा के बारे में भी लिखा है। उन्होंने सारस द्वारा अंडों को सेने की विधि का वर्णन भी किया है तथा सारस माता-पिता द्वारा अंडों की देख-भाल एवं अंडे से चूजे बनने तक की प्रक्रिया का उल्लेख भी किया है।पक्षी प्रेमी जहांगीर के पास एक चित्रकार भी था जिसका नाम उस्ताद मंसूर था। सम्राट जिस किसी नए जानवर अथवा पक्षी या फूल-पौधे को देखते थे,उसका चित्र मंसूर से तैयार करवा लेते थे ।उन्होंने इस प्रकार का एक विशाल चित्र संग्रह तैयार कराया था,जो मुगल साम्राज्य संघर्ष के दौरान नष्ट हो गया। शायद उसे विदेशी लूट ले गए।उनके चित्र संग्रह में एक चित्र ऐसे पक्षी का पाया गया जो तीन शताब्दी पूर्व लुप्त हुआ था। यह पक्षी बड़ा और न उड़ने वाला प्राणी था जिसकी विषय में रुसी पक्षी विज्ञान शोधकर्ता ए.इवानोव ने खोज की थी कि ‘डोडो’ नामक यह पक्षी तीन सौ वर्ष पहले लुप्त हो गया। इवानोव ने इस पक्षी का चित्र सोवियत विज्ञान अकादमी के ‘इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओरिएन्टलिस्टस’ में से लिया हुआ था, किंतु चित्र संग्रह में उस्ताद मंसूर का बना चित्र था। उस चित्र से शोधकर्ता को पता चला कि वह चित्र मॉरीशस के डोडो का था जिसे जहांगीर को सन 1624 में किसी व्यापारी ने भेंट दिया था।
पक्षी ज्ञान परीक्षा
एक दिन सम्राट जहांगीर शिकार करके थक गए थे।वे एक छायादार वृक्ष के नीचे बैठे थे। उनका एक मुख्य शिकारी था, उसका नाम इमाम बिरदी था।वह बहुत चतुर और चालाक था।एक पक्षी का शिकार करके बिरदी सम्राट के पास पहुंच गया और पक्षी को दिखाते हुए बोला- ‘जहांपनाह, यह सफेद नर तीतर है,परंतु इसकी टांगो मे नुकीले खाग नहीं है,यह क्या बात है?’
यह सुनकर सम्राट को लगा शायद मेरी ज्ञान की परीक्षा ली जा रही है।उन्होंने उस पक्षी को ध्यान से देखा और फिर बताया-‘यह तीतर तो मादा तीतर है।’ यह सुनकर शिकारी चौक पड़ा और बोला-‘यह परंतु इसके पैरों पर तो खाग नहीं है,फिर भी आपने इसके मादा तीतर होने का कैसे पता लगाया।कृपया बताइए, जहांपनाह!’
सम्राट ने कहा- मैंने इसका पता इसकी छोटी चोट से लगाया था।’ इसके बाद जब उस पक्षी का पेट चीरा गया तो उसमें कुछ अंडे पाए गए।इससे उन्हें सम्राट के पक्षी- ज्ञान पर बड़ी खुशी हुई।अब बिरदी का सिर शर्म से झुक गया था।यह देखकर सारे दरबारी आश्चर्य में पड़ गए थे।
प्रकृति एवं वनस्पति प्रेम
उन्होंने फूल द्वारा भंवरे को पकड़ना भी सीखा था। उनमे प्रकृति प्रेम भी कम नहीं था। उन्होंने अपने अध्ययन में कहा था- ‘महमूदाबाद (गुजरात) की वायु के बजाय अहमदाबाद की वायु अधिक फायदेमंद एवं स्वास्थ्यवर्धक है।’
उन्होंने सूर्य एवं चंद्र ग्रहण के दिवस एवं धूमकेतु की पूंछ घटने- बढ़ने का समय भी कॉपी में नोट किया था।इसके अलावा उन्होंने पहाड़ों पर उगने वाले चीड़,जुनीपर,साइप्रस के वृक्षों को जमीन पर उगाने का शोध भी किया था जिसे उन्होंने अपनी वनस्पति विज्ञान पुस्तक में लिखा था।सम्राट जहांगीर एक परिश्रमी, दृढ़ संकल्प रखने वाले एक प्राणीप्रिय शासक ही नहीं थे, बल्कि वे विज्ञान और उसके चमत्कारों के शोधकर्ता भी थे।वे समुचित दंड और नेक व्यवहार के सच्चे हिमायती भी थे।उन्होंने अपने समय में अनेक पार्कों,स्मारकों तथा बगीचों का निर्माण कराया था।
निष्कर्ष-
दोस्तों हम आपसे यह उम्मीद करते हैं कि आप सभी लोगों को सम्राट जहांगीर का जीवन परिचय के बारे में समझ आ गया होगा। यदि आप सभी लोगों को इससे जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप सभी लोग हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। यदि आप सभी लोगों को यह पोस्ट हमारी अच्छी लगी हो तो इस जानकारी को आगे शेयर जरूर करें।
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