डी.एन. वाडिया का जीवन परिचय

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डी.एन.वाडिया का जीवन परिचय

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है Hindi-khabri.in में। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे डी.एन. वाडिया का जीवन परिचय के बारे में जानेंगे।शैक्षणिक योग्यता और डी.एन.वाडिया की नियुक्ति और उनकी आरंभिक शिक्षा, शोध और डी.एन.वाडिया को मिले पुरस्कार के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जानने वाले हैं तो दोस्तों आइए हम बिना देर किए डी.एन.वाडिया का जीवन परिचय के बारे में जानते हैं-

Biography of Darashaw Nosherwan Wadia

दाराशाह नोशेरवा वाडिया का जन्म 25 अक्टूबर 1883 में गुजरात के सूरत शहर में हुआ था। उनके पिता जहाज निर्माण उद्योग में कार्य करते थे।बचपन में चित्रकला के प्रति उनका बहुत झुकाव था,अतः जब तब वे बैठकर चित्र बनाते रहते थे।उनके बड़े भाई की रुचि विज्ञान में थी, अतः उन्हें उनके बड़े भाई ने चित्रकला के बजाय विज्ञान पढ़ने तथा उसमें मन लगाने को कहा।

नियुक्ति

आरंभिक शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत दाराशाह नोशेरवा वाडिया ने बड़ौदा विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण किए। यहां पर उन्होंने जीव विज्ञान एवं भू विज्ञान विषय लिया था। यहां से एम.एस-सी करने के बाद वे जम्मू के प्रिंस ऑफ वेल्स कॉलेज में प्राध्यापक बन गए। इस समय उनकी आयु मात्र 23 वर्ष थी।

शोध

सबसे पहले उन्होंने हिमालय के भू-विज्ञान के बारे में शोध करना शुरू किया। वह गर्मी की छुट्टियों में पहाड़ों में जाकर खनिज,चट्टान,जीवाश्म और वनस्पतियां इकट्ठे करते व पर्वत की चट्टानों की बनावट और बढ़ने की प्रक्रिया के साथ-साथ उनकी संरचना की उलझन-भरी बातों को भी समझने का प्रयास करते। इतना ही नहीं,उन्होंने नंगा पर्वत तथा जोया मेर चोटी के अलावा श्रीलंका के भू-विज्ञान का भी अध्ययन किया।उन्होंने जीवाश्म विज्ञानी होने के नाते हड्डीरहित जानवरो एवं पौधों के जीवाश्म तथा हाथी जैसे जानवर स्टीगोडान गनेसा की खोपड़ी के टुकड़े के बारे में भी शोध किए थे।

पुरस्कार एवं निधन

छात्रों को भू-विज्ञान की ओर आकृष्ट करने के लिए उन्होंने सन् 1916 में ‘जियोलॉजी ऑफ इंडिया एंड वर्मा’ नामक एक पुस्तक भी लिखी। उन्होंने भारत में खनिज साधनों का भंडार बताते हुए उनकी खोज कराने की इच्छा व्यक्त की थी।उन्होंने श्रीलंका में भू-विज्ञान अध्ययन केंद्र बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें अपने जीवन में ‘बेक अवार्ड,लॉयल एवं मेघनाद साहा मैडल’ पुरस्कार मिले थे।उन्होंने सन् 1957 में रॉयल सोसाइटी का सदस्य भी बनाया गया था। सन् 1969 में उनकी मृत्यु हो गई।

निष्कर्ष

दोस्तों हम आपसे यह उम्मीद करते हैं कि आप सभी लोगों को डी.एन. वाडिया का जीवन परिचय के बारे में समझ आ गया होगा। यदि आप सभी लोगों को इससे जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप सभी लोग हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। यदि आप सभी लोगों को यह पोस्ट हमारी अच्छी लगी हो तो इस जानकारी को आगे शेयर जरूर करें।

 

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