सवाई जयसिंह द्वितीय का जीवन परिचय
नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है Hindi-khabri.in में। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सवाई जयसिंह द्वितीय का जीवन परिचय के बारे में जानेंगे।और उनकी उपाधि के बारे में, और उनके निर्माण कला और आदि के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जानने वाले हैं तो दोस्तों आइए बिना देर किए हम सवाई जयसिंह द्वितीय का जीवन परिचय के बारे में जानते हैं।
सवाई जयसिंह द्वितीय का जीवन परिचय
सवाई जयसिंह द्वितीय का जन्म सन 1686 में हुआ था।उस समय मुगल साम्राज्य लगभग समाप्त हो चुका था। जब वे 13 वर्ष के थे तो उन्हें राजगद्दी पर आसीन कर दिया गया।जयसिंह की मुगल सम्राट औरंगजेब से अच्छी पटती थी।इसी कारण औरंगजेब जय सिंह को विशेष सम्मान देता था।
उपाधि
जयसिंह ने सन् 1701 में मराठों को हराकर विशालगढ़ पर अधिकार कर लिया था।इसी कारण औरंगजेब ने उन्हें ‘सवाई’ (एक व्यक्ति से चौथा हिस्सा अधिक) की उपाधि दे दी थी ।इस कारण से वे सवाई जयसिंह द्वितीय हो गए थे। सन् 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई थी।इससे उसकी प्रजा में खलबली मच गई थी तथा राज्य में बिखराव पैदा होने लगा था। इतना ही नहीं,कत्ल तथा कूटनीति जैसे हरकतें भी बढ़ने लगी थी।यह देखकर दिल्ली का सिंहासन मोहम्मद शाह नामक युवक को सौंप दिया गया जिसकी आयु मात्र 19 वर्ष थी ।यह घटना सन् 1719 की है। अनेक षड्यंत्रकारियों ने शाह को गद्दी से उतारना चाहा, परंतु उनकी एक न चली।शाह ने बीस वर्ष दिल्ली पर राज्य किया।उसे बीस वर्ष बाद पानीपत के युद्ध में नादिरशाह ने हराया था।नादिरशाह दिल्ली का शाही ‘मयूर सिंहासन’ भी लूटकर ले गया था।
जयपुर की निर्माण कला
राजा जयसिंह को राजनीति और खगोल विद्या से विशेष प्रेम था। इस कारण वे दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गए थे। सन् 1727 में उन्होंने जयपुर को राजधानी बनाया था जिसे निर्माणकला एवं वास्तुकला से संवारा गया। उन्होंने इसके नियोजन में फारसी पंडित जगन्नाथ को गुरु माना था जो अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। जयसिंह ने अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए अनेक पुस्तकों का संग्रह किया जिनमें खगोल पुस्तकें,सहिताए,सारणिया,सूची आदि अरब,यूरोप,पुर्तगाल की थी।उन्होंने अंग्रेज खगोलज्ञ जान फ्लेमस्टीड का हिस्टोरा कोलीस्टिरिया ब्रिटेनिका,टालेमी का एल्माजेस्ट,पेर डी लाहीरा का टैबलि एस्टोनामिका तथा उलुग बेग की सारणी को इकट्ठा किया था।
पुस्तक का अनुवाद
उन्होंने अपने पास इकट्ठा सभी पुस्तकों को संस्कृत भाषा में लिखवाया और उनके नाम भी संस्कृत में ही रखवाए,जैसे- टालमी की संहिता का सिद्धांत सूरी कौस्तम,उलुग बेग की सारणी का तुरुसुरणी आदि नाम रखवाए थे।यूरोप की दूरबीन की तरह अन्य दूरबीनो का निर्माण कार्य भी यहां शुरू कराया गया। इस दूरबीन से पूर्व एस्ट्लोब तथा विविध प्रकार के उपकरणों से पर्यवेक्षण किया जाता था।इस दूरबीन से तारों एवं चंद्रमा के विषय की जानकारी होती थी।जयसिंह को दूरबीन जीवन में कुछ देर से मिली।
उनसे पहले के पर्यवेक्षण एस्ट्लोब व अन्य उपकरणों की सहायता से किए गए थे।इससे उन्होंने तारों और चांद के संबंध में भारतीय,अरब और यूरोपियन खगोलज्ञों ने अपनी सारणियो में जो स्थितियां और आंकड़े दिए हुए थे,उनमें सुधार किया,गलतियां दूर की। वास्तव में आरंभिक खगोलज्ञों पर आरोप नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि पृथ्वी के घूर्णन अक्ष की दिशा बदलने के कारण आकाशीय पिंडों की स्थितियां भी बदल गई थी।जब जयसिंह ने सम्राट मुहम्मद शाह के सामने ये गलतियां पेश की और बताया कि इससे हिंदू और मुस्लिम धार्मिक अनुष्ठानों का समय किस तरह प्रभावित होता है तो सम्राट ने उसे सब तरह की सहायता दी और गलतियों को ठीक करने के लिए कहा।
सन् 1724 में पहला जंतर-मंतर दिल्ली में बना और सन् 1734 में जयसिंह ने दिल्ली में किए अपने पर्यवेक्षणों पर एक पुस्तक प्रकाशित की जिसका नाम उसने अपने संरक्षक के नाम पर जिज मुहम्मद शाही रखा। कहते हैं जब जयसिंह युवावस्था में थे तो उन्होंने एक मुस्लिम युवा राजकुमारी को डकैतों से छुड़ाया था।राजकुमारी बेहद खूबसूरत थी।वे भी उस पर दिलोंजान से आसक्त हो गए थे। राजकुमारी ने जयसिंह से एक प्रश्न किया था- ‘तारे और चंद्रमा पृथ्वी से कितनी ऊंचाई पर हैं?’
यह सुनकर राजकुमार जयसिंह बहुत लज्जित हुए,क्योंकि वे अपनी प्रेमिका के प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकते थे।उन्हें बहुत शर्म महसूस हो रही थी।इस पर राजकुमारी ने उनसे प्रेम करना छोड़ दिया और वह कहीं चली गई।वह राजकुमारी कौन थी?कहां से आई थी,इसका किसी को भी पता नहीं चल सका,परंतु वह यह प्रश्न जय सिंह के लिए खगोल ज्ञान प्राप्ति हेतु अवश्य छोड़ गई थी।
वेधशालाओं का निर्माण
राजा जयसिंह इस प्रश्न का उत्तर ढूंढते रहे।उन्होंने अनेक पुस्तक पढ़ डाली,परंतु सही पुष्टि न हो सकी,फिर उन्होंने खगोल ज्ञान के लिए अनेक जंतर-मंतर वेधशालों का निर्माण कराया जिनमें दिल्ली में सन् 1724 में बनवाई गई जंतर-मंतर वेधशाला भी शामिल है।उस पर जयसिंह ने पुस्तक लिखी जिसका नाम भी दिल्ली के शासक के नाम पर दिया गया।वह पुस्तक थी-‘जिज मुहम्मद शाही’। जयसिंह ने दिल्ली के अलावा जयपुर,उज्जैन,बनारस शहरों में वेधशालाओं का निर्माण कराया था।उन्होंने मथुरा में भी उक्त भवन का निर्माण कराया,किंतु अपूर्ण स्थिति में छोड़कर ठेकेदार उनकी शिलाओ को उठा ले गए जिसका बाद में चिन्ह तक नष्ट हो गया।सवाई जयसिंह द्वितीय की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी। उन्होंने उपकरणों के निर्माण से पूर्व पंडित विद्याधर भट्टाचार्य से भी मशविरा किया था।उन्हीं की सलाह पर जयपुर का डिजाइन तैयार हुआ था जिसमें उन्होंने पीतल धातु के बजाय ईंट-चूने का उपयोग किया गया था।उनकी वेधशाला में कोई भी खगोल ज्ञान प्राप्ति के लिए आ सकता था।
उपकरणों की विशेषताएं
राजा जयसिंह ने अनेक यंत्रों का स्वयं निर्माण किया था जिनमें सम्राटयंत्र,रामयत्र एवं जयप्रकाश प्रमुख है।पहला यंत्र एक विशाल समकोड़ी शंकु,एक प्रकार की धूप घड़ी है जो आधे मिनट के अंतर से बिल्कुल सही समय बताती है। इससे सूर्य की ऊंचाई भी मापी जाती है और विषुव (इक्यइनओक्स)एवं आयनात (साल्स्टिस) स्थिति का भी पता लगाया जाता है। रामयंत्र एक लंबा खंभा है जो एक अशाकित सिलेंडर के भीतर खड़ा है। आकाश में यह,तारों की ऊंचाई और दिगंश को बहुत शुद्धता से मापता है। सबसे मौलिक है जयप्रकाश-एक चौड़ा अवत्तल प्याला जिस पर समस्त खगोलीय पिंडों की स्थिति हर समय मापी जा सकती है।जयसिंह के खगोल विज्ञान में दो मौलिक योगदान है। एक है विषुव का अयन मापना और दूसरा है क्रांति वृत की तिर्यकता का मापना।उनके निष्कर्ष टालेमी और उलुग बेग से बहुत ज्यादा सही है।आश्चर्य की बात है कि राजा जयसिंह ने स्वयं को केवल पर्यवेक्षण तक ही सीमित रखा। उन्होंने इस बात पर अध्ययन नहीं किया कि पृथ्वी सूर्य के इर्द-गिर्द घूमती है या सूर्य पृथ्वी के इर्द-गिर्द।उन्होंने टालेमी की ब्रम्हांड भूकेंद्रीय धारणा को स्वीकार किया था। राजा जयसिंह एक बुद्धिमान ज्ञानी थे। उन्होंने अपनी बुद्धिमता के बल पर ही अनेक यंत्रों का निर्माण किया था। उनकी स्मृति तब तक ताजा बनी रहेगी,जब तक उनकी ये वेधशालाएं जमीन पर बनी रहेंगी।
निष्कर्ष
दोस्तों हम आपसे यह उम्मीद करते हैं कि आप सभी लोगों को सवाई जयसिंह द्वितीय का जीवन परिचय के बारे में समझ आ गया होगा। यदि आप सभी लोगों को इससे जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप सभी लोग हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। यदि आप सभी लोगों को यह पोस्ट हमारी अच्छी लगी हो तो इस जानकारी को आगे शेयर जरूर करें।
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