बसंत पंचमी क्यों और कब मनाई जाती है?Basant Panchami Kyo Manaya Jata hai

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बसंत पंचमी क्यों और कब मनाई जाती है?

Basant Panchami Kyo Manaya Jata hai :-हमारा देश भारत एक ऐसा धार्मिक देश है, जहां पूरे साल में कई तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं। यहां पर अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं और सभी धर्मों से जुड़ा कुछ ना कुछ त्यौहार आता रहता है जिसके पीछे कुछ ना कुछ कारण जरूर होते हैं। बसंत पंचमी का त्यौहार हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार होता है जो मां सरस्वती देवी को समर्पित है। इस त्यौहार के आगमन से ही बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है और बसंत ऋतु के आगमन से वातावरण में हरियाली छा जाती है।

यह वसंत ऋतु कला और ज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के लिए बहुत ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है। क्योंकि बसंत ऋतु में ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही ज्यादा सर्दी होती है चारों तरफ मौसम अनुकूल रहता है जिससे लोगों को बहुत ही तरह ताजगी महसूस होती है वातावरण भी खिला-खिला लगता है जिसके कारण पढ़ने में भी बहुत ज्यादा लोगों का मन लगता है।

बसंत पंचमी का त्योहार पूरे भारत वर्ष में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है तो दोस्तों आइए हम जानते हैं कि बसंत पंचमी का त्यौहार क्यों और कब मनाया जाता है? (Basant Panchami Kyo Manaya Jata hai) बसंत पंचमी के त्योहार को लोग किस तरीके से मनाते हैं?

बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है?(Basant Panchami Kyo Manaya Jata hai)

बसंत पंचमी का त्यौहार हिंदु कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष माघ के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है या जाना जाता है। क्योकि इस दिन माता सरस्वती को समर्पित है।इस दिन विद्या की जननी माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन माता सरस्वती माता की पूजा-पाठ और आराधना की जाती है।

हिंदी भाषा में विद्या का पर्यायवाची शब्द सरस्वती होता है। इस दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा करके ज्ञान प्राप्ति का आशीर्वाद लिया जाता है। गायत्री मंत्र मां सरस्वती देवी को समर्पित है। विधार्थियो एवं कला का ज्ञान लेने वाले प्रत्येक व्यक्तियो के लिए वसंत पंचमी का त्योहार काफी ज्यादा महत्वपुर्ण होता है।बसंत पंचमी का त्योहार भारत में ही नहीं बल्कि भारत के अलावा बाहर के देश जैसे नेपाल जैसे देश में भी मनाया जाता है।

बिना विद्या के कोई भी मनुष्य इंसान नही हो सकता है। विद्या और कौशल के कारण ही एक मनुष्य इंसान बनता है, वरना मनुष्य भी एक जानवर के समान ही होता है। मनुष्यो की बुद्धि ही उसको जानवरो से अलग बनाती है और बुद्धि और ज्ञान की देवी माता सरस्वती को माना जाता है।

जो मनुष्य अधिक बुद्धिमान है ज्ञानी है वह हर एक परिस्थितियों का सामना बहुत ही आसानी से कर सकता है, उसे अपने शत्रुओं का सामना करने के लिए किसी और शक्ति की जरूरत नही पड़ती है।

इसलिए बसंत पंचमी का त्यौहार हर कोई लगभग भारत के पूरे राज्य में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और भारत के हर एफ स्कूलों में भी बसंत पंचमी के त्योहार को सभी अध्यापक गण बच्चो के साथ मिलकर मनाते है।

बसंत पंचमी त्योहार का पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन भारत के अलग अलग प्रदेशो के अलग अलग मान्यताओं के साथ भगवान की पूजा पाठ की जाती है कुछ स्थानों पर कृषक लोग सरसो की खेती के लिए भगवान को धन्यवाद देने के लिए पूजा व यज्ञ करवाते हैं। कुछ स्थानों पर दान दक्षिणा भी दिया जाता है। लेकिन माता सरस्वती की पूजा इस दिन हर जगह पर एक समान है।

बंसत पंचमी के दिन लोग सुबह उठकर नहाने धोने के बाद साफ और पवित्र पीले वस्त्र को धारण कर लेते है। पीला रंग माता सरस्वती का प्रिय रंग माना जाता है। इसलिए इस दिन माता सरस्वती को खुश करने के लिए पीला वस्त्र पहना जाता है। पीले पुष्प माता सरस्वती को चढ़ाएं जाते हैं और पीले चावलों को भोग भी लगाया जाता है।

बसंत पंचमी के दिन स्नान करने के पश्चात उत्तर दिशा में पाटन लगाकर उस पर लाल एवं पीले कलर का वस्त्र बिछाकर शुद्ध चावल के अक्षत और अष्ट कमल बनाकर अष्ट कमल के आगे वाले भाग में गणेश जी को स्थापित करना चाहिए गणेश जी की पूजा करने के साथ ही कामदेव की भी पूजा करनी चाहिए और फिर माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।

पूजा के दौरान विशेष रूप से केसर एवं पीले चंदन का तिलक का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि केसरिया फिर पीले चंदन का तिलक अर्पण करने से माता सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है प्रसाद के रूप में मां सरस्वती को पीले रंग के ही फल चढ़ाए जाए तो ज्यादा ही शुभ माना जाता है एवं पीले रंग की मिठाई से भोग लगाएं।

भारत के अलग-अलग राज्यों में बसंत पंचमी का त्यौहार

हमारे देश भारत में अनेकों धर्म के लोग रहते हैं। भारत के हर एक राज्य में लोगों का रहन सहन पहनावा और लोगों का पूजा पाठ करने की विधियां अलग-अलग होती हैं।बसंत पंचमी का त्यौहार भारत के हर एक राज्य में मनाया जाता है लेकिन हर कोई इस त्यौहार को अलग-अलग मान्यताओं के साथ-साथ अलग- अलग तरीके से भी मनाते हैं।

पश्चिम बंगाल और बिहार

पश्चिम बंगाल बिहार में बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय माना जाता है। इस त्यौहार के दिन लगभग हर एक गली मोहल्ले में माता सरस्वती का पंडाल बनाया जाता है बहुत बड़ी संख्या में लोगों का भीड़ इकट्ठा होता है और सभी लोग एक साथ मिलकर माता सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं सभी बच्चे लोग अपनी नोटबुक और बुक को मां सरस्वती के प्रतिमा के सामने रख देते हैं।

इस दिन विद्या की देवी माता सरस्वती को समर्पित भजन और कीर्तन किये जाते हैं। माता सरस्वती की पूजा करने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। इन दोनों राज्यो में माता हसवाहिनी के पूजा के प्रसाद के रूप मे बुंदिया,बेर,गाजर आदि और कुछ फल भोग लगाएं जाते हैं।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान

उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्य मे भी बसंत पंचमी का त्योहार काफी ज्यादा महत्व होता है। राजस्थान में पतंगबाजी प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।

उत्तर प्रदेश राज्य में भी कई जगहों पर इस दिन भक्तजन लोग भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं और चावल और केसर चढ़ाते हैं। इस दिन इन दोनों राज्यो के लोग पीले गेंदे के फूल से अपने घर को और अपने प्रवेश द्वार को सजाते हैं।

उत्तर प्रदेश राज्यों में माता सरस्वती के पूजा के प्रसाद के रूप में बुनिया,केला,बताशा,गाजर,बेर आदि कुछ और फल के भोग लगाए जाते हैं।

FAQs

बसंत पंचमी क्यों और कब मनाई जाती है?

बसंत पंचमी का त्योहार माता सरस्वती को समर्पित है जो कि प्रत्येक वर्ष माघ के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है इसी दिन माता सरस्वती ने जन्म लिया था।

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