अपक्षय क्या है?तथा रासायनिक अपक्षय के प्रकार। Apakshay Kya Hai

Spread the love

अपक्षय क्या है?तथा रासायनिक अपक्षय के प्रकार। Apakshay Kya Hai

अपक्षय क्या है?

अपक्षय (Weathering) वह प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह पर मौजूद चट्टानों में टूट-फूट होती है। यह अपरदन से अलग है, क्योंकि इसमें टूटने से निर्मित भू-पदार्थों का एक जगह से दूसरी जगह स्थानान्तरण या परिवहन नहीं होता।

रसायनिक अपक्षय के प्रकार

ऑक्सीकरण

ऑक्सीजन द्वारा सैलो पर होने वाले प्रभाव को ऑक्सीकरण कहते हैं। जल में ऑक्सीजन CO2 गैस भूली रहती है वायुमंडलीय आगरा ऑक्सीजन गैस चट्टानों के खनिजों से सहयोग कर उन्हें ऑक्साइड में बदल देती हैं यही गैस युक्त जल स्तर एवं अर्ध स्वर प्रदेशों में लोग चट्टानों (बायोटाइट अल्विन एवं पाईराक्सिन) तथा लोहे की वस्तु पर तेजी से प्रभाव डालता है लोहे में जंग लगने की क्रिया इसी कारण से होती है बार-बार पानी एवं हवा के संपर्क में आने से लोहा ऑक्साइड में बदल जाता है लोहे के अलावा कैल्शियम, पोटेशियम,मैग्नीशियम के तत्व पर भी ऑक्सीजन की रासायनिक क्रिया होती है।

ऊष्ण प्रदेशो की सभी प्रकार की लाल और भुरभुरी लाल पीली मृदा लौह वाली चट्टानों में ऑक्सीकरण की क्रिया से नष्ट होकर मिट्टी में बदलती जाती है सिड़ेराईट और लिमोनाईट लोहे के जमाव पूर्व के कठोर मैग्नेटाइट एवं हेमेटाइट चट्टानों के ऑक्सीकरण की क्रिया के बाद निर्मित बालू या मोटी मृदा जैसे जमाव के कारण ही पाई जाती है।

कार्बनीकरण

जब जल में खुला हुआ कार्बन चट्टानों पर प्रभाव डालता है तो उसे कार्बनिकरण कहते हैं यह फेल्सपार तथा कार्बोनेट युक्त खनिजों को अलग करने में एक आम सहायक प्रक्रिया होता है कार्बन जल में घुलकर कार्बोनिक अम्ल का गठन करता है।यह अम्ल चून्नायुक्त चट्टानों को जल्द ही खोल देता है।भूमिगत जल के द्वारा चुना पत्थर के प्रदेशों में बड़े पैमाने पर होता है अनुमान है कि कार्बनिककरण द्वारा चुना पत्थर प्रदेशों में भूतल प्रति 1000 वर्षों में लगभग 5 सेंटीमीटर नीचे हो जाता है।कार्बनिकरण के परिणाम स्वरुप ही भूमिगत गुफाओं का निर्माण होता है।

जलयोजन

जलयोजन एक रासायनिक क्रिया होती है चट्टानों के खनिजों में जल के अवशोषण को ही जलयोजन के नाम से जाना जाता है या कहते हैं। भूपटल में कुछ ऐसे ही खनिज होते हैं जो हाइड्रोजन युक्त जल को अवशोषित करने के बाद जलयोजित और भारी हो जाते हैं। परिणाम स्वरूप दबाव के कारण चट्टानें टूट फूट जाती है और उनका स्वरूप बदल जाता है।

फेल्सपार इस क्रिया का ओलीन मृदा में परिवर्तित हो जाता है कैल्शियम सल्फेट से जल के मिलने के बाद जिप्सम में परिवर्तित हो जाता है जो कैलशियम सल्फेट के अपेक्षा अधिक स्थाई होता है यह एक लंबी व उत्क्रमणीय प्रक्रिया होती है जिसकी सतत पुनरावृति से चट्टानों में अंतराल उत्पन्न हो जाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप चट्टानों में विघटन हो सकता है।

भूपर्पटी में अनेक क्ले युक्त खनिज शुष्क एवं आद्र होने की प्रक्रिया में फैलते और संकुचित होते हैं। इस प्रक्रिया की पुनरावृति उपरिशाई पदार्थों में दरार का कारण बनती है। रंध्र क्षेत्र में समाहित लवणीय एवं बार-बार जलयोजन से प्रभावित होकर शेल-विभग में सहायक होता है। जलयोजन के कारण खनिजों के आयतन में परिवर्तन से अपशल्कन एवं करणी विघटन द्वारा भौतिक अपक्षय मे भी सहायता प्रदान करता है।

विलय या घोल

जब कोई वस्तु जल या अम्ल में घूल जाती है तो भूली घुलित तत्वों के जलीय अम्ल को घोल कहते हैं। इस प्रक्रिया में ठोस पदार्थों का घूमने मिलना या शामिल होता है। जो जल्या अमल में खनिज की विलेयता पर निर्भर करता है जल्द से संपर्क में आने पर अनेक ठोस पदार्थों का विघटित हो जाते हैं एवं जल में निलंबन के कारण के रूप में मिश्रित हो जाते हैं।

घुलनशील शैल निर्माण करने वाले नाइट्रेट,सल्फेट एवं पोटेशियम जैसे खनिज इस प्रक्रिया से प्रभावित होते हैं इसका मतलब यह हुआ कि खनिज अधिक वर्षा की जलवायु में बिना कोई अवशिष्ट छोड़े बड़ी आसानी से निक्षलित हो जाते हैं शुष्क प्रदेशों में वर्षा के कारण इकट्ठा हो जाते हैं।

मुख्य रूप से चुना पत्थर में विद्यमान कैलशियम कार्बोनेट मैग्निशियम बाइकार्बोनेट जैसे खनिज कार्बनिक एसिड युक्त जल में घुलनशील होते हैं।
तथा जल में एक घोल के रूप में प्रवाहित हो जाते हैं। क्षन्योमुख जैव पदार्थो के द्वारा जनित कार्बन डाइऑक्साइड मृदा जल के साथ मिल जुलकर इस प्रक्रिया में बहुत मददगार होता है साधारण नमक भी एक सेल निर्माण करने वाला खनिज है जो कि जल में घुलनशील होता है।

सिलिका का अपघटन

चट्टानों से सिलिका का अलग होना ही सिलिका का अपघटन या अलग होना कहलाता है। आंध्र प्रदेश की आग ने चट्टानों पर पानी की क्रिया के प्रभाव से सिलिका और अन्य तत्व तेजी से अलग होने लगते हैं इस क्रिया में सिलिका शेष रह जाती हैं। सिलिका युक्त चट्टानों का अधिकांश भाग घुल जाता है जिसे सिलिका का पृथक्करण या सिलिका का अलग होना भी कहा जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों आपने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना है कि अपक्षय क्या है तथा रासायनिक अपक्षय के प्रकार के बारे में भी जाना है यदि आपको आर्टिकल में दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो आप अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

इसे भी पढ़ें-मृदा किसे कहते हैं?

समूह सखी क्या है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *