लौह अयस्क किसे कहते हैं? भारत में लौह अयस्क की कितने पेटियाँ है
लौह अयस्क किसे कहते हैं?
लौह अयस्क किसे कहते हैं-लौह अयस्क एक आधारभूत खनिज है तथा औधोगिक विकास की रीढ़ है। भारत में लौह अयस्क के विपुल संसाधन विद्यमान है। भारत उच्च कोटि के लोहाशयुक्त लौह अयस्क में धनी हैं। मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है। जिसमें 70% लोहाश पाया जाता है।
इसमें सर्वश्रेष्ठ चुंबकीय गुण होते हैं जो विद्युत उद्योगों में विशेष रूप से उपयोगी होते हैं हेमेटाइट सर्वाधिक महत्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है जिसका अधिकतम मात्रा में उपभोग हुआ है। किंतु इसमें लोहांश की मात्रा मैग्नेटाइट की अपेक्षा थोड़ी सी कम होती है।( इसमें लोहांश 50 से 60 प्रतिशत तक पाया जाता है।)
भारत में कितने पेटियां हैं लौह अयस्क की ?
भारत में लौह अयस्क की निम्न पेटियां हैं-
ओडिशा झारखंड पेटी
उड़ीसा में उच्च कोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ खदानों से निकाला जाता है।इसी से सन्निद्व झारखंड के सिंहभूम जिले में गुआ तथा नोआमुंडी से हेमेटाइट अयस्क का खनन किया जाता है।
दुर्ग-बस्तर-चन्द्रपुर पेटी
यह पेटी महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत पाई जाती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बैलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं में अति उत्तम कोटि का हेमेटाइट पाया जाता है जिसमें इस गुणवत्ता के लौह के 14 जमाव मिलते हैं।इसमें इस्पात बनाने में आवश्यक सर्वश्रेष्ठ भौतिक गुण विद्यमान हैं।इन खदानों का लौह अयस्क विशाखापट्टनम पतन से जापान तथा दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।
बल्लारि-चित्रदुर्ग- चिक्कमगलूरू- तुमकूरू पेटी
कर्नाटक की इस पेटी में लौह अयस्क की बृहत् राशि संचित है। कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानें शत-प्रतिशत निर्यात इकाई है। कुद्रेमुख निक्षेप संसार के सबसे बड़े निक्षेपो में से एक माने जाते हैं। लौह अयस्क कर्दम (Slurry) रूप में पाइपलाइन के द्वारा मंगलुरू के निकट एक पतन पर भेजा जाता है।
महाराष्ट्र-गोआ पेटी
यह पेटी गोआ तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी जिले में स्थित है।यद्यपि यहां का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है। मरमागाओ पतन से इसका निर्यात किया जाता है।