कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की संकल्पना क्या है? परिभाषा,प्रकार और महत्व

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कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की संकल्पना क्या है?परिभाषा,प्रकार और महत्व

नमस्कार दोस्तों आप सभी लोगों का Hindi-khabri.in में आप सभी लोगों का स्वागत है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की संकल्पना क्या है? परिभाषा प्रकार और महत्व क्या है? आदि के बारे में आर्टिकल में हम लोग जानने वाले हैं और दोस्तों आइए बिना देर किए हम जानते हैं कि कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की संकल्पना क्या है? परिभाषा प्रकार और महत्व क्या है?

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की संकल्पना क्या है?

दोस्तों आपने अनेक संगठनों और उद्योगों को कार्य करते हुए देखा होगा जो सामाजिक विकास के निमित्त के द्वारा किए जाते हैं (इनका स्वरूप शिक्षा का प्रसार, स्कूलों का विकास,गैर सरकारी संगठनों की सहायता करना, अस्पतालों का निर्माण या फिर महिलाओं,बच्चों,वृद्धों एवं शारीरिक बाधाओं से ग्रस्त लोगों की दशा सुधारने से जुड़े अन्य अनेक सामाजिक कार्यों का हो सकता है)। इन सभी को कार्पोरेट सामाजिक दायित्व निर्वहन के कार्य भी कहा जाता है।

यह CSR काली समाज ही नहीं वरन् व्यवसायिक निगमों के लिए भी जादुई छड़ी जैसे साबित हुए हैं। ऐसे कार्यों के माध्यम से इन संगठनों को ग्राहक,कर्मचारी और पणधारी ही नहीं मिल रहे हैं बल्कि इन कार्यों से बनी अच्छी छवि के कारण उनको अपने उत्पादनों के लिए।अधिक ग्राहक भी मिल रहे हैं। हम आपको संक्षेप में कारपोरेट सामाजिक दायित्व कार्य संगठनों का सामाजिक विकास और साथ ही साथ अपने नाम की छाप को विकसित करने का एक माध्यम बन गए हैं यह एक प्रकार से कार नीतियों के अनुपालन का तरीका भी बन जाता है (कंपनियों के इन कार्यों में निवेश से उनकी सरकार को कर देयता में छूट मिलती हैं)।

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व:-समाज के विकास हेतु संगठनों द्वारा किए जा रहे कार्य ही “निगम सामाजिक दायित्व” कहलाते हैं। यह शिक्षा प्रदान करना, स्कूलों का विकास गैर सरकारी संगठनों की सहायता,अस्पतालों का निर्माण,नारी एवं बाल विकास कार्यों में धन का निवेश, वृद्धि एवं विकलांग जन सहायता एवं ऐसे ही अन्य कार्यों के रूप में हो सकता हैं।

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की परिभाषा क्या है?

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व का निर्वहन समाज की भलाई एवं समृद्धि में बहुत सार्थक योगदान करता है संगठन ने यह कार्य समाज के प्रति दायित्व की भावना के साथ-साथ प्रेरणा के फल स्वरुप भी करते हैं इन कार्पोरेट सामाजिक दायित्व कार्यों की अनेक प्रकार से परिभाषित की गई है समान प्राय आधारों पर विभिन्न संगठनों ने CSR हेतु अनेक प्रकार की नीतियां एवं युक्तिया को अपनाई है।सामाजिक दायित्व निर्वहन प्रक्रिया की कुछ परिभाषाएं इस प्रकार हैं:

धारणीय विकास हेतु विषय व्यवसाय परिषद:(Council for Sustainable Development) कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की परिभाषा इस प्रकार से हो सकती है यह एक व्यवसाय के अपने कार्यबल एवं उनके परिजनों तथा स्थानीय जन समुदाय एवं बेहतर समाज की जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु आर्थिक विकास में योगदान करने और नैतिक रूप से व्यवहार करने की प्रतिबद्धता है।

व्यवसायिक मानको के संदर्भ में CSR प्रक्रिया “व्यवसाय का इस प्रकार से सचालन है कि यह समाज के द्वारा व्यवसाय हेतु नियत नैतिक विधिक,व्यापारिक एवंज न अपेक्षाओं को पूरा हीन करें,बल्कि उनसे आगे भी बढ़ जाए।

विभिन्न देशों ने अपनी-अपनी कार्य संस्कृति एवं आर्थिक दशाओं के आधार पर कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के अर्थ तलाशने के प्रयास किए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में CSR की यह परिभाषा है: “मानवीय आधार पर की गई सामाजिक सेवा। इस कार्य में संगठन अपने अर्जित लाभ का एक भाग धर्मार्थ कार्यो के लिए समाज के साथ बांटते हैं। इसे कंपनी के कार्य को “देने में कुछ पाने” की भावना से किया गया कार्य माना जाता है।

यूरोपीय प्रतिरूप/प्रतिमान इससे कुछ अलग है।वे इसे ऐसी प्रक्रिया के रूप में मानते हैं कि कंपनी अपने मुख्य व्यवसाय को सामाजिक जिम्मेदारी की भावना के साथ करती है और ठोस व्यवसायिक संदर्भ में समाजिक इकाइयों में निवेश भी करती है”।

अतः पूरे विश्व बाजार के लिए सामान्य रूप से स्वीकार्य परिभाषा का निरूपण कठिन ही है। किन्तु पूरे संसार में कारपोरेट सामाजिक दायित्व निर्वहन के पीछे मूल भावना एक ही होता है। यह मूलतः अधिक ग्राहक पाने, समाज में अपनी पहचान को बनाने और वृहतर सामाजिक हितों से प्रेरित व्यवसाय का प्रबंधन है।

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के प्रकार क्या है?

वित्तीय पारदर्शिता और समाज को विकास में विकास सहायता देने को उत्सुक संगठन विश्वभर की बाजार व्यवस्थाओं में अनेक प्रकार के सामाजिक दायित्व प्रेरित काम को कर रहे हैं।जैसे पहले भी चर्चा में आया है,यह कार्य शिशु देखभाल से लेकर समाज के वृद्ध जन भलाई तक से प्रेरित होते हैं।विभिन्न प्रकार के निगम सामाजिक दायित्वों को हम इस प्रकार से मुख्य वर्गों में विभाजित कर सकते हैं:

समाज के मानव वर्ग के प्रति दायित्व:-संगठन स्वयं मानव आश्रित होते हैं।समाज में कार्यरत रहते हुए ये उसी से अपनी मानव शक्ति को पाते हैं और साथ ही ग्राहक व उपभोक्ता (जो वस्तुत: किसी भी ग्राहक के द्वारा खरीदे गए उत्पाद को वास्तव में उपयोग करेंगे)। अतः अनेक कंपनियां समाज के मानव वर्ग को विकसित करने के लक्ष्य से ही स्कूल,कॉलेज,अस्पताल एवं धर्मार्थ संगठनों का संचालन करती है। इस प्रकार मानव समाज को अपने कार्यों का लक्ष्य बनाते हुए यह कंपनियां न केवल अपने कर भार को कम करती है बल्कि अधिक सुशिक्षित कर्मचारी वर्ग तथा समाज में अच्छी प्रतिष्ठा एवं मान्यता भी प्राप्त कर लेती हैं।

बाह्य वातावरण के प्रति दायित्व:-संगठन एक अनावृत तंत्र होता है जो अपने उत्पादों एवं सेवाओं की आपूर्ति के लिए कच्चे माल की मांग को पूरा करने के लिए बाह्य वातावरण पर निर्भर रहता है। प्राकृतिक संपदा एवं संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग वैश्विक ऊष्णन,संसाधन धारणीयता तथा प्रदूषण आदि को लेकर अनेक पर्यावरणीय आपदाओ का कारण बन सकता है।यह पर्यावरण के मुद्दे अंततः उन फर्मो के व्यवसाय को भी हानि पहुंचाते हैं। इसी कारण से अब अनेक व्यापारिक संगठन पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहायता करने लगे हैं।उन्हें पर्यावरण संरक्षण समूह तथा सरकारों से उस द्वारा पर्यावरण में उत्सर्जित प्रदूषण को घटाने और समाज को जीवित रहने के लिए एक बेहतर वातावरण प्रदान करने में सहायता देने को प्रेरणा मिल रही है।

गैरलाभकारी संगठनों के प्रति दायित्व:-अनेक कंपनियां गैर सरकारी संगठनों जैसी धर्मार्थ समाज सेवी संस्थाओं को वित्तीय सहायता देती है।यह एक प्रकार से परोक्ष रूप से समाज को ही दी गई सहायता है।

व्यवसायिक वातावरण के प्रति दायित्व:- कई बार एक उद्योग समूह व्यवसाय क्षेत्र में ही किसी सद्कार्य को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किन्हीं कंपनियों को पुरस्कार सम्मान आदि प्रदान करते हैं। ये CSR सम्मान किसी न किसी सामाजिक दायित्व के निर्वहन के स्तर के उन्नयन या फिर उसकी ओर ध्यान आकर्षित करने के ध्येय से दिए जाते हैं। उदाहरण: यदि किसी जनसंपर्क संगठन को पर्यावरण मित्र या हरित सदप्रयासों को बढ़ावा देने के लिए दिए गए पुरस्कार सम्मान।डेयरी संगठन अपने ही उद्योग की इकाइयों को मानवीय व्यवहार के लिए समानित कर सकते हैं।अन्ततः ये प्रोत्साहन समाज के ही विकास में सहायक सिद्ध होते हैं।

समय और समाज की जरूरतों में बदलाव के साथ-साथ अनेक संगठन ऐसी विधियों का अनुशीलन कर रहे हैं जिन से समाज को अधिक लाभ एवं सहायता प्राप्त हो सके।

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व का महत्व क्या है?

जैसे हमने आपको ऊपर बताया कि CSR के माध्यम से कंपनी अपने नैतिक एवं नीति शास्त्रीय मानकों को बनाए रखने का प्रयास करती है। यह केवल निगमित विश्व ही नहीं बल्कि समूचे समाज के लिए लाभप्रद होता है।

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के महत्व की ओर इंगित करने वाली कुछ बातें निम्न प्रकार से है-

  • यह वर्तमान एवं भावी ग्राहकों, सहयोगियों,विक्रेताओं,पणधारियों एवं पूरे समाज के साथ संबंधों को और भी मजबूत बनाता है।
  • यह अच्छी शिक्षा,स्वास्थ्य परिचर्या सुविधाओं और व्यवहारिक कौशल आदि प्रदान कर राष्ट्रीय विकास में भी योगदान करता है।
  • यह प्रयास समाज में जीवन सुखद बनाते हैं।
  • व्यवहारिक एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण द्वारा यह समाज के सदस्यों को संप्रेरणा प्रदान करते हैं।
  • CSR के माध्यम से संपन्न कार्य कंपनी को वित्तीय जोखिम के प्रबंधन में सहायक होते हैं।
  • विभिन्न सामाजिक क्रियाकलापों के नियित किए गए प्रयास संगठनों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए एक पृष्ठभूमि को प्रदान करते हैं।ये अन्य संगठनों को भी ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए अपने अपने सामाजिक दायित्व निभाने को बाध्य करते हैं।
  • CSR निर्वहन एक कंपनी को अपने समकक्ष एवं अन्य कंपनियों से ‘पृथक’ सम्मान/प्रतिष्ठा पाने में सफल बनाते हैं। कंपनी द्वारा इसके अंतर्गत किए गए कार्य उसे एक विशेष पहचान के रूप में प्रदान करते हैं। इस प्रकार,CSR कार्य कंपनी को ‘नाम’और ख्याति प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों हमने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना है कि कार्पोरेट सामाजिक दायित्व की संकल्पना क्या है?परिभाषा प्रकार और महत्व के बारे में आर्टिकल के माध्यम से हमने जाना है दोस्तों इस आर्टिकल के संबंध से अगर आपका कोई भी सुझाव या कोई सलाह है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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