भूगर्भ की जानकारी के साधन

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भूगर्भ की जानकारी के साधन

भूगर्भ की जानकारी के साधन-पृथ्वी की त्रिज्या 6370 किलोमीटर है पृथ्वी की आंतरिक परिस्थितियों के कारण यह संभव नहीं है कि कोई पृथ्वी के केंद्र तक पहुंचकर उसका निरीक्षण कर सके या वहां के पदार्थ का कुछ नमूना को हासिल कर सके यह आश्चर्य की बात है कि ऐसी परिस्थितियों में भी वैज्ञानिक हमें यह बताने में सक्षम हुए की भूगोल की संरचना कैसी है और इतनी गहराई पर किस प्रकार के पदार्थ पाए जाते हैं पृथ्वी की आंतरिक सरंचना के विषय में हमारी अधिकतर जानकारी परोक्ष रूप से प्राप्त अनुमानों पर आधारित है तथापि इस जानकारी का कुछ भाग प्रत्यक्ष प्रेक्षणों और पदार्थों के विश्लेषण पर आधारित है।

प्रत्यक्ष स्रोत

खनन

पृथ्वी से सबसे आसानी से उपलब्ध ठोस पदार्थ धरातलीय चट्टाने हैं अथवा वे चट्टाने जो हम खनन क्षेत्रों से प्राप्त करते हैं। दक्षिणी अफ्रीका की सोने की खाने 3 से 4 किलोमीटर तक गहरी है इससे अधिक गहराई में जा पाना असंभव है क्योंकि उतनी गहराई पर तापमान बहुत अधिक होता है।

प्रवेधन परियोजना

खनन के अलावा वैज्ञानिक विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत पृथ्वी की आंतरिक स्थिति को जानने के लिए पर्पटी में गहराई तक छानबीन कर रहे हैं। संसार भर के वैज्ञानिक दो मुख्य परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।यह गहरे समुद्र में पर प्रवेधन परियोजना व समन्वित महासागरीय प्रवेधन परियोजना आज तक सबसे गहरा प्रवेधन आर्कटिक महासागर में कोला क्षेत्र में 12 किलोमीटर की गहराई तक किया गया है इन परियोजनाओं तथा बहुत सी अन्य गहरी खुदाई परियोजनाओं के अंतर्गत विभिन्न गहराई से प्राप्त पदार्थों के विश्लेषण से हमें पृथ्वी की आंतरिक संरचना से संबंधित असाधारण जानकारी प्राप्त हुई है।

ज्वालामुखी उद्गार

ज्वालामुखी उद्गार प्रत्यक्ष जानकारी का एक अन्य स्रोत है जब कभी भी ज्वालामुखी उद्गार से लावा पृथ्वी के धरातल पर आता है यह प्रयोगशाला अन्वेषण के लिए उपलब्ध होता है यद्यपि इस बात का निश्चय कर पाना बहुत कठिन होता है कि यह मैग्मा कितनी गहराई से निकला है।

अप्रत्यक्ष स्रोत

पदार्थ के गुणधर्म के विश्लेषण से पृथ्वी के आंतरिक भाग की अप्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होती है। खनन क्रिया के द्वारा हमें पता चलता है कि पृथ्वी के धरातल में गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान एवं दबाव में वृद्धि होती है।इतना ही नहीं हमें यह भी पता चलता है की गहराई बढ़ने के साथ-साथ पदार्थ का घनत्व भी बढ़ता है तापमान दबाव व घनत्व में इस परिवर्तन की दर को आंका जा सकता है।पृथ्वी की कुल मोटाई को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने विभिन्न गहराइयों पर पदार्थ के तापमान,दबाव एवं घनत्व की मांग को अनुमानित किया है प्रत्येक परत के संदर्भ में इन लक्षणों का सविस्तार वर्णन इस आर्टिकल के माध्यम से हम आगे करेंगे।

उल्काएँ

पृथ्वी की आंतरिक जानकारी का दूसरा प्रत्यक्ष स्रोत उल्काएँ है, जो कभी-कभी धरती तक पहुंचती हैं। हालांकि हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उल्काओ के विश्लेषण के लिए उपलब्ध पदार्थ पृथ्वी के आंतरिक भाग से प्राप्त नहीं होते हैं।परंतु उल्काओ से प्राप्त पदार्थ और उनकी सरंचना पृथ्वी से मिलती-जुलती है। ये उल्काएं वैसे ही पदार्थ के बने ठोस पिंड है,जिनसे हमारा ग्रह (पृथ्वी) बना है।अतः पृथ्वी की आंतरिक जानकारी के लिए उल्काओ का अध्ययन एक अन्य महत्वपूर्ण स्रोत है।

गुरुत्वाकर्षण,चुंबकीय क्षेत्र व भूकंप

इसके अलावा और अप्रत्यक्ष स्रोतों में गुरुत्वाकर्षण,चुंबकीय क्षेत्र व भूकंप संबंधी क्रियाएं शामिल होती हैं।वह पृथ्वी के धरातल पर भी विभिन्न अक्षांशो पर गुरुत्वाकर्षण बल एक समान नहीं होता है यह (गुरुत्वाकर्षण) बल ध्रुवों पर अधिक एवं भूमध्य रेखा पर कम होता है।पृथ्वी के केंद्र से दूरी के कारण गुरुत्वाकर्षण बल धुव्रो पर अधिक और भूमध्य रेखा पर कम होता है।गुरुत्व का मान पदार्थ के द्रव्यमान के अनुसार भी बदलता है। पृथ्वी के भीतर पदार्थों का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है।अलग-अलग स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण की भिन्नता अनेक अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है। इस भिन्नता को गुरुत्व विसंगति कहा जाता है। गुरुत्व विसंगति हमें भूपर्पटी में पदार्थ के द्रव्यमान के वितरण की जानकारी देती है। चुंबकीय सर्वेक्षण भी भूपर्पटी में चुंबकीय पदार्थ के वितरण की जानकारी देते हैं। भूकंपीय गतिविधियां भी पृथ्वी की आंतरिक जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

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